Ajay

Add To collaction

जुस्तजू भाग --- 10

"तुम साथ हो तो मुझे क्या कमी है, अंधेरों से भी आ रही रोशनी है।(एक फिल्मी गीत)




अनुपम ने आरूषि के कमरे का दरवाजा धीरे से बंद किया। हॉल में आते ही अपने पीए को फ़ोन किया, "यादव जी कैसे हैं ? कलेक्ट्रेट में सब कैसा चल रहा है ?"

"सर, गुड इवनिंग सर..। सब आपके निर्देशानुसार ही हो रहा है सर।" यादव जी हकला गए थे।

"ठीक है तो मेरी अनुपस्थिति के 5 दिनों में हुए काम की डिटेल्ड रिपोर्ट सहित सभी को अब से 1 घंटे में ठीक 8 बजे पहुंचने को निवेदन करें। आरटीओ और उस बस को फिटनेस देने वाले ज़िम्मेदार को तुरंत ही चैंबर में पहुंचने को बोले। एसएसपी साहब से 9 बजे की मीटिंग फिक्स करें। और हां सैदपुर एसडीओ की कार भिजवाने के लिए ड्राईवर अरेंज करें अभी।"

"जी सर, अभी सब करवाता हूं, सर"

"मैं कलेक्ट्रेट पहुंच रहा हूं।" कहकर फोन काट दिया और अर्दली को बुलाकर कार बुलवा ली।

कुछ देर में ही वह कलेक्ट्रेट पहुंच गया। उधर सब जिम्मेदारों में हड़कंप मचा था।

     "मिस्टर सिंह, कैसे हैं ? सब ठीक चल रहा है आपके ऑफिस में ?"

आरटीओ सिंह से कोई जवाब नहीं बन पा रहा था। फिटनेस देने वाला इंस्पेक्टर कांप रहा था।

"लगता है आपका स्वास्थ्य ठीक नहीं है। कुछ दिन आराम करना बेहतर रहेगा। रहेगा न ?"

"ह ह हां न न नहीं...."आरटीओ कुछ और कहते कि उसका निलंबन आदेश पीए को उसे देने का इशारा किया अनुपम ने।

"माननीय सीएम साहब ने आपके स्वास्थ्य के लिए शुभकामनाएं भेजी है।"

आरटीओ बाहर जाने का इशारा समझ गया। इंस्पेक्टर ने तुरंत अपने बयान देने का निवेदन किया।

"डीटीओ को चार्ज दिलाओ अभी और शर्मा जी आप यादव जी के साथ जाइए बाकी प्रबंध ये देख लेंगे। यादव जी अभी ही इन्हे सीजेएम साहब के पास ले जाएं। मैं उनसे बात कर लेता हूं।"

बाहर सबको सांप सूंघ गया था जैसे। सबको पता चल गया था कि डीएम साहब किसी को नहीं बख्शेंगे और सीएम साहब ने उन्हें फ्री हैंड दे दिया है।

ज़िला मुख्यालय पर नियुक्त सारे पीसीएस अपने मातहतों के साथ अपने कामों को बिजली की तेज़ी से पूरा करने में जुटे थे। सीनियर एडीएम ने तुरंत घायलों की स्थिति की जानकारी सीएमएचओ और जिला अस्पताल से ली। उन्होंने बाकी सभी अधिकारियों को हादसे से सम्बन्धित सभी जानकारी इकट्ठी करने और भविष्य में ऐसा न हो, ऐसी कार्यवाही करने के लिए अलग अलग पीसीएस के नेतृत्व में टीमें बना दी।पीडब्ल्यूडी के चीफ इंजीनियर ख़ुद सड़को की मॉनिटरिंग में लग गए।

 एसएसपी के ऑफिस में भी हडकंप मच गया वहां की खबरें पहुंचने से। तभी गृह सचिव का फ़ोन आ पहुंचा सैदपुर के डीएसपी और एसएचओ निलंबित किए जा चुके थे। तुरंत सभी पुलिस अधिकारी हरकत में आ चुके थे और सारी जगहों पर ड्राइवरों और गाड़ियों की फिटनेस आरटीओ के साथ मिलकर करने लगे। 

इस सब में 8 बज गए थे। सारे अफ़सर सांस रोककर कलेक्टर साहब की अगली कार्यवाही का इंतज़ार कर रहे थे। पर अनुपम चुपचाप रिपोर्ट्स और मिनट्स पढ़ रहा था और फाइलों पर हस्ताक्षर कर रहा था। एडीएम प्रशासन ने धीरे से कहा,"सर अब कोई गलती नहीं है।"

"गलती हो चुकी है। मैं जानना चाहता हूं कि 2 दिन में ही ऐसा अपराध हो जाता है। आपकी नाक के नीचे !! जाइए माननीय मुख्यमंत्री जी के पीएस सर को और सीएमओ को अपनी रिपोर्ट भिजवाने का प्रबंध कीजिए।"

सब जान चुके थे कि दिन रात काम करना होगा। आखिर उन सबने सैदपुर प्रशासन पर सारी ज़िम्मेदारी छोड़ दी थी। कोई भी महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभा सका था।

एसएसपी ने चेंबर में ही मिलना बेहतर समझा।

"बैठिए, आपको आने में असुविधा के लिए अफ़सोस है।"

एसएसपी समझ गया अब अगली बारी उसकी थी। अनुपम की ताक़त से वह परिचित हो चुका था।

"सॉरी सर"

"हम्म्म , यादव साहब सभी की मेडिकल रिपोर्ट इनके पास भिजवाइये। विशेष रूप से विधायक साहब के भतीजे की। एसएसपी साहब आप कल लखनऊ चले जाइएगा। मैं 2 दिन बाद आपसे वहीं मिलूंगा।"

एसएसपी भी रात भर काली होने और घटना की गंभीरता समझ गए थे।

अनुपम वहां से हॉस्पिटल चला गया। अब तक सबकी समझ में अपने डीएम साहब आ गए थे।

रात 11 बज चुके थे। पर गाजीपुर प्रशासन के लिए दिन ही था।
तभी एडीएम वहीं आ पहुंचे, "आपसे उम्र में बड़े होने से क्या आपको एक सलाह दे सकता हूं ?"

"कुशवाह जी, आप मेरे लिए सम्माननीय हैं।"

"आप मुझ पर भरोसा रखें और अपने स्वास्थ्य का खयाल करते हुए आराम कीजिए। यादव जी इन्हें घर पर ले जाइए।"

"नहीं यादव जी आपके साथ रहेंगे और यादव जी मुझे विस्तृत जानकारी सुबह मिलनी चाहिए।"अनुपम ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी।

अनुपम लौट आया था उसने आरूषि के कमरे का दरवाजा खोलकर झांका। मां बेटे को एक दूसरे से लिपटकर सोते देखकर गहरी सांस भरी और स्टडी में चला गया जहां एक कोट रखवा रखी थी।

आरूषि की नींद 3 बजे खुल गई। उसे कुछ देर समझने में लगी। वह 7 बजे सो गई थी और पहली बार इतने सालों में वह इतना और शांति से सोई थी। अपने बेटे के साथ। पर अब उसे अनुपम की भी चिंता हो आई थी। वह गांव के लोगों से उसके बारे में सुन चुकी थी और ख़ुद देख भी चुकी थी। उसने ढूंढना शुरू किया और स्टडी में पहुंच गई। 
     अनुपम सर्दी में बिना ओढ़े किसी तरह कोट में सोया पड़ा था। उसकी नजर जब चेहरे पर पड़ी तो फिर से दिल डोल गया। उसके लिए महज कुछ समय के साथ में अनुपम से इस तरह से जुड़ जाना कोई आश्चर्य से कम न था। उसने किसी तरह उढ़ाया उसे पर नींद में अनुपम ने उसको पकड़ लिया। अब वह कोट पर अधलेटी सी थी। तभी अनुपम का दूसरा हाथ भी लिपट गया उससे और उसका बाकी शरीर भी कोट पर आ गया। वह बहुत मुश्किल में थी। अगर छुड़ाती तो अनुपम जाग जाता और फिर वहां आने की क्या वजह बताती वो !! कोट पर उसके लिए बिल्कुल जगह नहीं थी तो बिलकुल चिपकी हुई थी वो। पहले अपनी स्थिति पर बेहद शर्म आ रही थी पर जल्दी ही वह जान गई कि अनुपम वास्तव में ही गहरी नींद में था। उसकी नज़र इतने पास से अनुपम के चेहरे पर पड़ी और वह सब भूल गई। धीरे से उसने उसके माथे पर अपने प्यार की छाप छोड़ी और अनुपम तभी हिला। अनुपम की पकड़ ढीली पड़ते ही वह निकल गई उसके आगोश से। अभी भी वह संभल नहीं पाई थी।

         "क्या करूं कि जी भी नहीं सकती और साथ भी रहूं तो कैसे ?"

वह इसका जवाब अपने कान्हा से पाना चाहती थी। दैनिक क्रियाओं से निपटकर वह मंदिर में चली आई। पूजा पूरी की ही थी कि उसकी नज़र उस अकेली फोटो पर पड़ी जो कुल्लू में खींची थी अनुपम ने। वहां उसे देखकर अचंभित थी कि तभी कॉल बेल बजी। नौकर ने दरवाजा खोला तो बेहद प्रभावशील व्यक्तित्व की महिला थी वहां। उनकी नज़र पूजा की थाली के साथ हॉल में खड़ी आरूषि पर पड़ी। आरूषि और वो दोनों एक दूसरे को देख रहे थे।

"आरूषि !!!!"

"बुआ मां ??"



   16
10 Comments

Seema Priyadarshini sahay

06-Feb-2022 05:43 PM

बहुत ही खूबसूरत लिखा है आपने।

Reply

Ajay

15-Feb-2022 11:18 PM

Thanks 🙏🏻

Reply

Sandhya Prakash

25-Jan-2022 08:15 PM

वाह.. शानदार लेखनी है

Reply

Ajay

01-Feb-2022 10:10 AM

आपने हर भाग को पढ़कर अपनी समीक्षा दी है। इसके लिए हार्दिक धन्यवाद 🙏🏻🙏🏻

Reply

Shaqeel

24-Dec-2021 02:34 PM

Good

Reply

Ajay

24-Dec-2021 02:49 PM

Thanks

Reply